Monday 21 September 2020

क्या है कछुआ अंगूठी के लाभ? | Kachua ring ke fayde | Hindi Bhandar

 हेल्लो फ्रेंड्स, आमतौर पर ज्यादातर लोग सोने और चाँदी की अंगूठी पहनना पसंद करते है, लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है, की कछुए की भी अंगूठी पहनी जाती है, अगर नही तो कोई बात नही, क्योकि आज की पोस्ट में हम आपको बताएँगे की कछुए की अंगूठी क्यों पहननी चाहिए, और इससे फायदा क्या होता है, तो चलिए शुरू करते है।

तो आज हम इस पोस्ट में कछुए की अंगूठी के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।

क्या है कछुआ अंगूठी के लाभ


कछुआ अंगूठी - kachua ring

यह अंगूठी कोई आम अंगूठी नहीं होती है बल्कि इसको वास्तु शास्त्र के हिसाब से अत्यधिक शुभ माना जाता है इससे घर में धनलक्ष्मी की बढ़ोतरी होती है साथ ही या यह आत्मविश्वास बढ़ाती है और इसको भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है इन्हीं सभी कारणों की वजह से कछुए की अंगूठी को वास्तु शास्त्र में एक महत्व स्थान प्राप्त है साथ ही यह धन की वृद्धि करने में भी मदद मिलती है इन्हीं कूछ वजह से कछुए की अंगूठी प्रसिद्ध है।


कछुआ के अंगूठी के फायदे - kachua ring ke fayde

वैसे देखा जाए तो कछुआ के अंगूठी के मनुष्य जीवन में बहुत सारे फायदे होते हैं लेकिन उनमें से कुछ फायदा के बारे में हम जानेंगे।

  • कछुआ पानी व जमीन पर भी रहता है इसीलिए इसको उन्नति का प्रतीक माना जाता है इसको पहनने से सफलता मिलने की उम्मीद बढ़ जाती है।
  • शास्त्रों के मुताबिक कछुए की अंगूठी भगवान श्री विष्णु का प्रतीक है इसीलिए सकारात्मकता बनी रहती है।
  • कछुए को धरती और स्वर्ग दोनों स्थानों से जुड़ा हुआ माना जाता है इसीलिए इसको पहनने से सकारात्मक फायदे होते हैं।
  • कछुए की अंगूठी से धन में वृद्धि होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • शास्त्रों के अनुसार इस अंगूठी से आपकी उम्र लंबी होती है।
  • शास्त्रों के अनुसार कछुए की पीठ बड़े से बड़े जोखिम को झेल सकती है इसी कारण इसको मनुष्य का सुरक्षा कवच भी माना जाता है जो हमेशा मनुष्य की मदद करता है।
  • कछुआ के अंगूठी पहने के बाद आपकी सकारात्मकता बढ़ती है और आप सफलता के लिए प्रेरित होते हैं।
  • कछुए की अंगूठी आपको कैरियर में भी बहुत अहम भूमिका निभाती है साथ ही बिजनेस या नौकरी में भी सफलता दिलाती है।

कछुए की अंगूठी के बारे में ध्यान रखने योग्य बातें

  • कछुए की अंगूठी चांदी की होनी अनिवार्य है।
  • कछुआ के अंगूठी को हमेशा शुक्रवार के दिन खरीदना चाहिए ।
  • कछुए की अंगूठी को हमेशा सीधे हाथ में पहनना चाहिए।
  • कछुआ के अंगूठी को जब भी उतारे तो आप उसको मंदिर में रखें वापस पहनने से पहले लक्ष्मी जी की मूर्ति छुकर पहने।
  • कछुआ के अंगूठी को पहने के बाद उसको बार-बार घुमाना नहीं चाहिए ।
  • जब भी कछुए की अंगूठी बनवाएं तो उसके सिर वाला हिस्सा पहनने वाले व्यक्ति की और आना चाहिएं और कछुए का मुख बाहर की ओर होगा तो धन आने की बजाय चला जायेगा ।

किस हाथ में पहने कछुए की अंगूठी

कछुए की अंगूठी मनुष्य जीवन के लिए बहुत ही ज्यादा गुणकारी होती है धन में वृद्धि सकारात्मक सोच बढ़ती है इसको पहनने के कुछ नियम होते हैं जो इस प्रकार है।
  1. कछुआ के अंगूठी को हमेशा पुरुषों के लिए हमेशा दाहिने हाथ में ही पहनना चाहिए।
  2. कछुए की अंगूठी महिलाओं को अपने बाएं हाथ में ही पहना चाहिए।
  3. कछुए की अंगूठी को हमेशा हाथ के मध्यम में अंगुली में पहना जाता है।


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घर में शांति के लिए वास्तु टिप्स – ghar me sukh shanti ke upay

हर कोई व्यक्ति यही चाहता है की जिस घर में वह रह रहा है वहाँ पूरी तरह से शांति का माहोल हो और अपने घर में सुख शांति बनाने के लिए बहुत सी प्रयास भी करता है परन्तु कई बार ऐसे वास्तु दोष घर में छिपे होते है जिसका पता हर कीसी को नहीं लग पाता है और जिस से घर में सुख शांति में खलल उत्तपन होता है। अतः ऐसे वास्तु दोषों के कारणों का पता लगा उन्हे दूर करना बहुत जरूरी होता है। अगर घर में छिपे वास्तु दोषों का पता लगा उन्हे दूर कर दिया जाए तो घर में शांति और सुखमय माहोल पाया जा सकता है। आज हम आप के सामने इस लेख में उन तरीकों को लेकर आए है जिनको अपना कर आप घर में सुख शांति ला सकते और वास्तु दोषों को दूर कर सकते है।

घर में शांति के लिए वास्तु टिप्स


घर में शांति के लिए इन तरीकों को अपनाएं - sukh shanti ke upay

  1. पूर्वी दिशा जहां से सुबह सूर्य की किरणें घर में आती हों उस जगह क्रिस्टल बॉल रखें, ताकि उस पर सूर्य की किरणें पड़ें और उसका प्रकाश पूरे फ्लैट में फैले। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी। अगर के अंदर नकारात्मकता रहती है तो घर के सदस्यों का भी काम में मन नहीं लगता और सही परिणाम नहीं मिल पाते है। जो की आप की तरक्की में बाधा बनती है।
  2. पूरे घर में नमक के पानी का पोंछा लगाएं। घर के पूजा स्थान को हमेशा साफ-स्वच्छ रखें। किसी तरह की गंदगी न हों।
  3. बोनसाई और कंटीले पौधे घर के अंदर नहीं लगाएं। इससे घर का वास्तु बिगड़ता है और नकारात्मक उर्जा फैलती है।
  4. शयनकक्ष में बिस्तर के नीचे जूते-चप्पल नहीं होने चाहिए। यह नकारात्मक उर्जा को बढ़ाता है और रोग एवं मानसिक परेशानियों को बढ़ाता है। जूते-चप्पल हमेशा घर से बहार ही रखने चाहिए। मुख्य दरवाजे के सामने में भी जूते चप्पल नहीं उतारने चाहिए इस से सकारात्मक ऊर्जा में अवरोध उत्तपन होता है।
  5. लोहे की अलमारी कभी भी बिस्तार के पीछे नहीं रखें। यह भी ध्यान रखें कि लोही की चीजें आपके बिस्तर पर नहीं हो।
  6. जल को ऊर्जा का एक स्रोत माना जाता है अतः घर में जल के स्रोत की दिशा भी विशेष महत्व रखती है । घर के बीच में पानी की टंकी, हैंडपंप, घड़ा या दूसरे जल के स्रोत नहीं होने चाहिए यह आर्थिक मामलों में नुकसानदेय होता है।
  7. दान के लिए घर में लाई गई वस्तुओं को अधिक दिनों तक घर में नहीं रखना चाहिए। देवी देवताओं की टूटी मूर्तियों को भी घर में नहीं रखना चाहिए। टूटी हुई मूर्तियों को किसी पेड़ की जड़ में रख देना चाहिए।
  8. यदि बेठक में खाने की व्यवस्था हो या कीसी तरह का खंभा हो तो यह वास्तु के हिसाब से सही नहीं होता है। इसे तुरंत परिवर्तित करना चाहिए। इसके कारण घर के मालिक की सामाजिक प्रतिष्ठा खराब होती है। और ऐसा करने से मित्रों के साथ संबंध भी खराब हो सकते है। अथवा परिवार के सदस्यों की शिक्षा में भी नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते है।
  9. यदि पूजा स्थल की दीवारों में दरारे है या पूजा कक्ष में रोशनी की कमी है तो इसे तुरंत दूर करना चाहिए। क्योंकि इस कारण से परिवार जनों की सेहत पर प्रभाव पड़ सकता है और संघर्षों का सामना करना पड़ सकता है।
  10. यदि रसोई की दिवारे काली पड़ गई हो या दरारे पड़ी हो तो इसे राहू-मंगल योग कहते है जिसे तुरंत सही करना चाहिए। इस वजह से गृह स्वामी के भाई को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। और घर में महिलाओं की पति को समान देने की प्रवृति कम होती है।
  11. घर में सुख, शांति, समृद्धि की चाह रखने वालों के लिए सफेद रंग के विनायक की मूर्ति, चित्र लगाना चाहिए। इस से घर का माहोल पूरी तरह से शांत बना रहता है और घर के लोगों के बीच तरह का मन मुटाव भी नहीं होता है।

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वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा कोनसी है? | शौचालय वास्तु

वास्तु एक ऐसा पुराना विज्ञानं है जो इंसान के जीवन में बहुत एहमियत रखता है। वास्तु के नियमों का पालन करने से मुसीबतें दूर रहती है। वास्तु हर जगह काम आता है। वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा भी निर्धारित है।चाहे वो घर का निर्माण हो, ऑफिस का या शौचालय का। हाँ आपने सही पढ़ा शौचालय बनाने में भी वास्तु काम आता है। वास्तु के अनुसार घर का नक्शा निर्धारित करते वक़्त शौचालय के बारे में भी सोचे।  वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा निर्धारित की हुई है। शौचालय को इस दिशा में बनाने से मुश्किलें कम होती है। प्रधान मंत्री के द्वारा शुरू किया हुआ स्वच्छ भारत अभियान भी शौचालय के तरफ ध्यान दे रहा है। इसीलिए वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा जानना जरूरी है। पहले लोग किसी भी दिशा में शौचालय बना लेते थे। लेकिन अब वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा जानने के बाद ही बनवाते है। आइए अब जानते है वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा कोनसी है?


वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा कोनसी है?

भारत के स्वतंत्रता के वक़्त यह माना जाता था की शौचालय घर के बाहर होना चाहिए। बड़े बुजुर्ग कहते थे की मूल-मूत्र त्यागने का कार्य घर के बाहर ही सही है। इसका एक कारण यह भी है की घर में पूजा घर होता है। लेकिन अब शौचालय कमरे के अंदर बनाया जाने लगा है। ऐसा बदलते समय के कारण हुआ है। किसी भी दिशा में लोग शौचालय बना लेते थे।

लेकिन वास्तु शास्त्र की बढ़ती हुई एहमियत के कारण सब बदल गया है। अब वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा तय करी जाती है। शौचालय बनाते वक़्त शौचालय वास्तु पर ध्यान दिए जाने लगा है। वास्तुशास्त्र के अनुसार शौचालय घर के दक्षिण – पश्चमी दिशा के बीच में बनवाना चाहिए।वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा यही है। शौचालय वास्तु के अनुसार इस दिशा में शौचालय बनवाना लाभकारी होता है।


वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा जानना क्यों जरूरी है ?

वास्तु के नियमों का पालन करने से कोई हानि नहीं है। बल्कि आपको लाभ ही होता है। लेकिन इन नियमों का पालन ना करने की वजह से मुसीबतों का सामना जरूर करना पढ़ सकता है। इसलिए वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा का पालन करना जरूरी है।

शौचालय के मदद से आप अपनी जिंदगी से बेकार चीज़े बहार निकालते है। इस कार्य के लिए दक्षिण पश्चिम दिशा उचित मानी जाती है। इसीलिए इसे वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा माना जाता है। इस दिशा में शौचालय बनाने से व्यक्ति अपनी बेकार और कष्टकारी चीज़ो का विसर्जन कर सकता है।  इसीलिए ख़राब ऊर्जा वाली जगह पर शौचालय का निर्माण होना चाहिए।

अगर शौचालय वस्तु के अनुसार शौचालय की दिशा में नहीं है तो:

  1. घरवालों के बीच मनमुटाव हो सकता है।
  2. वैवाहिक जोड़े के बीच भी कलह हो सकता है।
  3. व्यवसाय में हानि हो सकती है।
  4. नौकरी या किसी भी पेशे में भी दिक्कतें आ सकती है।
  5. परिवार के लोग रोग से पीड़ित रहते है।
  6. ग्रह स्वामी में आत्मविश्वास की कमी है।

शौचालय वास्तु (Toilet Vastu)

  1. वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा का पालन करना जरूरी है। शौचालय बनाते वक़्त इन बातों का जरूर ध्यान दीजिये:
  2. शौचालय बनवाते वक़्त उसमे लगने वाले उपकरणों की वजह से नकारात्मक ऊर्जा नहीं पैदा होनी चाहिए। ऐसा अगर होता है तो घर के सदस्य बीमार रहते है।
  3. घर में टॉयलेट और बाथरूम एक साथ मत बनाये। वास्तु के अनुसार ऐसा करने से वास्तु दोष होता है। इस वास्तु दोष की वजह से आपको कई मुसीबतों का सामना करना पढ़ता है। घर में कलह भी बना रहता है।
  4. यह जरूर ध्यान रखें की शौचालय बनाने की वजह से सकरात्मक ऊर्जा नष्ट नहीं हो। ऐसा अगर होता है तो आपको आर्थिक मुसीबतें हो सकती है। इसके साथ साथ बरकत या सफलता में भी रुकावटें आती है। शौचालय के लिए हमेशा नकारात्मक ऊर्जा वाली जगह चुने।
  5. शौचालय कभी घर के मुख्य द्वार के सामने नहीं बनाएं। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है। यह हानिकारक होता है।
  6. शौचालय और स्नानगृह कभी साथ में मत बनवाएं। स्नानगृह हमेशा घर के पूर्व दिशा में होना चाहिए। शौचालय हमेशा वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा निर्धारित की जगह पर बनवाएं।

बाथरूम वास्तु (Bathroom Vastu)

  1. वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा जो निर्धारित है उसी का इस्तेमाल कीजिये।
  2. वास्तु शास्त्र के अनुसार स्नानगृह में चंद्रमा का वास होता है। शौचालय में राहु का वास होता है। अगर आप इन दोनों को एक साथ बनाते है तो चंद्रमा को राहु की वजह से ग्रहण लग जाता है। इसके कारन बहुत सारे दोष हो जाते है। इनका असर व्यक्ति के मन और स्वस्थ्य पर पढता है। इसलिए स्नानगृह और शौचालय अलग रखें।
  3. बाथरूम और टॉयलेट भी अलग होने चाहिए।
  4. बाथरूम में पानी का बहाव उतर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
  5. बाथरूम का फर्श चिकना नहीं बनाएं। ऐसा करने से घरवालों को हानि हो सकती है। टाइल्स, मार्बल या ग्रेनाइट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  6. बाथरूम में टपकता हुआ नल नहीं होना चाहिए। अगर कोई नल ऐसा है तो उसको सही करवा लीजिये।
  7. बाथरूम में लगी हुई खिड़की पूर्व दिशा में खुले तो अच्छा होता है।
  8. हमेशा बाथरूम का दरवाजा बंद रखे ताकि नेगितिविटी आपके घर में न फैले। अगर आपका बाथरूम का दरवाजा हमेशा खुला रहता है तो इसका असर आपके व्यक्तिगत जीवन और आपके करियर पर पड़ता है।
  9. आपके बाथरूम के बाहर कोई भी सजावट का सामान न रखे और न ही किसी देवता की मूर्ति या फोटो लगाये।

वास्तु के अनुसार टॉयलेट (Vastu Ke Anusar Toilet)

वास्तु के अनुसार टॉयलेट बनाना जरूरी और लाभदायक होता है। नीचे दिए हुए कुछ दिशाओं में टॉयलेट नहीं बनाना चाहिए। इन दिशाओं में शौचालय बनाने से मुसीबतें आती है। आइए जानते है इन दिशाओं के बारे में:

  1. पश्चिम दिशा में शौचालय नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा का प्रयोग करने की वजह से व्यक्ति को मनोवांछित फल नहीं मिलते।
  2. उतर दिशा में शौचालय नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से रोजगार की तकलीफें होती है। धन पाने में रुकावटें भी आती है।
  3. शौचालय के लिए उतर-पूर्व दिशा भी उचित नहीं है। इस दिशा के इस्तेमाल से व्यक्ति की रोगो से बचने की क्षमता कम हो जाती है। घरवाले ज्यादातर बिमारियों से पीड़ित रहते है।
  4. घर के पूर्व दिशा में शौचालय नहीं बनाएं। ऐसा करने पर घरवाले हमेशा थकान महसूस करते है। इस दिशा के प्रयोग से व्यक्ति के सामाजिक रिश्ते नष्ट हो जाते है।
  5. यह ध्यान रखें की टॉयलेट कभी भी रसोई के सामने नहीं हो।

वास्तु फॉर टॉयलेट सीट डायरेक्शन (Vastu For Toilet Seat Direction)

वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा के साथ टॉयलेट सीट की दिशा भी जरूरी है। आइए देखते है कोनसी है यह दिशा :

  1. पश्चिम या दक्षिण दिशा में टॉयलेट सीट रखनी चाहिए।
  2. टॉयलेट सीट के लिए दक्षिण – पश्चिम सबसे उचित दिशा है।
  3. टॉयलेट सीट का प्रोयग करते वक़्त आपका मुख दक्षिण या पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए।
  4. टॉयलेट सीट का प्रयोग करते वक़्त कभी भी मुख पूर्व दिशा की तरफ नहीं रखें। यह दिशा सूर्य भगवान् की है। अगर आप इस दिशा की तरफ मुख करके शौच करते है तो सूर्य देव का अपमान होता है। ऐसा करने से आपको कानूनी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।
  5. वास्तु फॉर अटैच्ड बाथरूम एंड टॉयलेट (Vastu For Attached Bathroom And Toilet)
  6. ऐसे शौचलय की दीवारों का रंग सफ़ेद, हल्का नीला, हल्का पीला या आसमानी रंग होना चाहिए।
  7. ऐसे व्यवस्था में वाशिंग मशीन के लिए दक्षिण या आग्नेय कोण सही दिशा होती है।
  8. दर्पण हमेशा पूर्व या उतरी दिवार पर लगाना चाहिए।
  9. वास्तु अनुसार अगर बाथरूम की दीवार और आपके पलग की दीवारे एक है तो आपको डरवाने सपने आने लगेंगे।
  10. इस बात का ख़ास ख्याल रखे कि आपके बाथरूम का वश बेसिन और नहाने की जगह बाथरूम के पूर्व, उत्तर या उतर पूर्व में हो।
  11. बाथरूम में अगर एग्जॉस्ट फैन है तो वो पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में होना चाहिए ताकि वहां से आपके बाथरूम में फ्रेश हवा और सूरज की रोशनी आ सके।

Toilet Position As Per Vastu

  • आपके बाथरूम में वेंटिलेशन होना चाहिए।
  • बाथरूम का इंटीरियर करवाते वक्त इस बात का ध्यान रखे कि बाथरूम की टाइल्स काली या गहरी नीले रंग की न हो। आपके बाथरूम की दीवार भूरे रंग,क्रीम रंग या मिटटी के रंग से मिलता जुलता कोई रंग होना चाहिए।

वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा

  • सीढियों के नीचे कभी भी बाथरूम न बनवाएं, ये वास्तु की नजर से सही स्थान नही है।
  • बाथरूम का दरवाजा लकड़ी का बना होना चाहिए न कि लोहे का , लोहे के दरवाजे नैगेटिव एनर्जी पैदा करता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नही होगा ।

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय

  • वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में शौचालय हमेशा दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही होना चाहिए।
  • शौचालय का गटर आपके घर के पश्चिम या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
  • दक्षिण दिशा के अलावा शौचालय की खिड़कियाँ और दरवाजा किसी भी दिशा में हो सकते हैं

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय (Vastu Shastra Ke Anusar Toilet)

  1. शौचालय में पानी का बहाव उतर पूर्व दिशा से होना चाहिए।
  2. अगर आप शौचालय में गीज़र लगवा रहे है तो शौचालय अग्नि कोण में बनवाएं। गीज़र के साथ वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा मानते है।
  3. आज कल ज्यादातर लोग बैडरूम में शौचालय बनवाते है। यह गलत है। ऐसा करने से बैडरूम और बाथरूम की ऊर्जा में टकराव होता है। इसका घरवालों के स्वास्थय पर भी असर करता है। दोनों के बीच में एक चेंजिंग रूम बनवाएं। यह हमेशा ध्यान रखें की उपयोग के बाद शौचालय का दरवाज़ा बंद हो। ऐसे बाथरूम की खिड़कियां पूर्व दिशा में होनी चाहिए। एग्जॉस्ट फैन भी पूर्व दिशा में लगवाना चाहिए।
  4. यह ध्यान रखें की जब आप सोये तब शौचालय का दरवाजा आपके मुख की तरफ नहीं हो।
  5. शौचालय हमेशा एक के ऊपर एक बनवाना चाहिए।
  6. शौचालय में ब्रश करते वटक आपका मुख उतर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
  7. ईशान कोण में शौचालय नहीं बनवाना चाहिए। यह हानिकारक होता है।

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Vastu Tips: 25+ ways to boost positive energy in 5 areas of your home | HindiBhandar

Vastu for a Positive Home

For a house to become a home, it needs to radiate the right kind of energy. According to a number of traditional beliefs, each home comes with its own energy type. A person dwelling in a house comes under the influence of a specific energy field, which in turn influences him in one way or the other. Therefore it’s very crucial to understand the link between the healing art of Vastu and our homes in honing positivity and good vibes. Keeping in mind the ‘ready-to-move-in’ houses (where architectural changes are not possible), Vastu expert Ashna Ddhannak, founder and owner of Enlightening Lifestyle, enlists ways you can bring balance to your home.


Vastu Tips

Vastu Shastra is an ancient guide for a positive home, right from the entrance of a house to the bedroom, kitchen, bathroom, outdoors, and courtyard.

1. Vastu for the Main Entrance: Doorway


According to Vastu Shastra, the main entrance to a home is not only the entry point for the family, but also for energy.

Vastu for the Main Entrance


The main door should face the north, east or in the north-east direction.


As per Vastu, the main door should be constructed in a way to ensure that when you step out, you face the north, east or north-east direction


Considered as the “archway to victory and progress in life”, the main door should face north, east or in the north-east direction. It must be constructed in a way to ensure that when you step out, you face the north, east or north-east direction.

  • The main door to your home should be constructed with superior quality wood. It should tower above the other doors in your house, and look the most appealing.
  • Avoid placing a fountain, or any other decorative water-centric element, outside the main door.
  • Avoid placing a shoe rack or dustbin outside the main door.
  • There shouldn’t be a bathroom near the main door.
  • Ensure the main entrance is well lit.
  • Avoid painting the main door black.
  • Decorate your door with beautiful nameplates and auspicious torans.
  • Avoid placing animal statues or figurines near the main door.
  • Ensure your main door opens in a clockwise manner.

2. Vastu for the Meditation Room: Spirituality


Designating a room in the house for meditation and prayers will ensure spiritual growth. It is always important for an individual to introspect and connect to a higher power, says Ddhannak.

Vastu for the Meditation Room

White, beige, or a light yellow or green are great colour options for the meditation room.

An option for a meditation room in a Vastu compliant home


Here is how you can go about designating a meditation/spiritual room:

  • The east or north-east part of your home is perfect for meditation, yoga and other spiritual pursuits.
  • Facing east when you meditate will increase positivity
  • Create a sacred altar and decorate it with candles or incense sticks
  • White, beige, light yellow or green are great colour options for the room.

3. Vastu for the Living Room: Social


In a home, the living room is where most of the activity is centred. It creates a favourable (or unfavourable) first impression when guests enter for social gatherings. Therefore, ensure the living room is clutter-free.

Vastu for the Living Room

The living room should face east, north or north-east. Alternatively, a north-west-facing living room is also favourable.

A living room in a Vastu compliant home


  • The living room should face east, north or north-east. Alternatively, a north-west-facing living room is also favourable.
  • Heavy furniture should be kept in the west or south-west direction of the living room.
  • All electronics and appliances should be installed in the south-east section of the living room
  • If there is a mirror in the room, ensure it is placed on the north wall.

4. Vastu for the Courtyard: Cosmic Centre of the Home


Brahmasthan is a unique feature of ancient Indian architecture based on Vastu Shastra. It is the centre of your abode and is considered to be the holiest and most powerful zone of the house.

Here are a few tips to ensure the Brahmasthan radiates limitless energy:

  • This part of your home should be spotless and clutter-free. A circumference of 1 to 1.5 metres of the Brahmasthan should not have any obstructions or built-up area.
  • The placement of the kitchen, bathroom or a pillar/beam attracts negative energy. This could have an adverse effect on the health of your family members.

5. Vastu for the bedroom: Balance


Sometimes, the smallest things can turn your fortunes around. Vastu Shastra shows you how tweaking your bedroom can enhance positive energy and even improve relations between couples.

Vastu for the bedroom

As per Vastu, paint your bedroom walls in neutral or earthy shades as it radiates positive energy. Avoid painting your walls black.

Here are 5 tips to transform the energy ratios in your bedroom to help positively influence your sleep:

  • Ideally, the bedroom in a south-west direction brings good health and prosperity. Avoid a bedroom in the north-east or south-east zone of the house as the former may cause health issues, while a bedroom placed in the latter direction may cause quarrels among couples.The bed should be placed in the southwest corner of the bedroom, with your head facing west.
  • Avoid placing a mirror or television in front of the bed. Your reflection must not be seen in a mirror when in bed as it causes fights and other domestic disruptions.
  • Paint your bedroom walls in neutral or earthy shades as it radiates positive energy. Avoid painting your walls black.
  • Avoid having a temple, paintings depicting water or a fountain in the bedroom as it could cause emotional outbursts.
  • Use mood lighting and burn aromatic oils to create an oasis of calm.

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